गर्भावस्था या प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला की देखभाल (Pregnant Women Care) बेहद जरूरी होती है। प्रेगनेंसी के समय गर्भ के पहले महीने से लेकर डिलीवरी तक मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के प्रति सजगता दिखानी चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान हर महीने होने वाले टेस्ट (Pregnancy Tests) कराना, आयरन की गोलियां लेना, प्रेगनेंसी के दौरान डाइट (Diet in Pregnancy) और व्यायाम (Exercise in Pregnancy), मानसिक समस्या दूर करने के उपाय आदि जानना बेहद जरूरी है।
यह ‘लक्षण’ बताएंगे आप ‘प्रेग्नेंट’ तो नहीं!
आमतौर पर गर्भावस्था के लक्षण (Pregnancy Symptoms) गर्भाधान के पहले सप्ताह के दौरान दिखाई देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा नोटिस किया जाना संभव नहीं हो पाता, ऐसे में पीरियड मिस होना ही संकेत होता है। लेकिन यदि महिलाएं ध्यान दें तो पीरियड मिस होने से पहले भी गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण देखे जा सकते हैं। आप गर्भवती हैं या नहीं इसके लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट भी किया जा सकता है, हालांकि इतनी जल्दी टेस्ट का परिणाम सकारात्मक होगा, यह भी पूरी तरह संभव नहीं है। आइए आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताते हैं जिससे पीरियड मिस होने से पहले भी, आप गर्भवती हैं या नहीं जान सकती हैं।
पीरियड मिस होने से पहले जानें, गर्भवती हैं या नहीं
हर महिला में गर्भावस्था के लक्षण अलग-अलग होते हैं। मासिक चक्र के मिस होने से पहले आमतौर पर निम्न लक्षणों को गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों के तौर पर देखा गया है।
1. गर्भ ठहरने के बाद रक्त के धब्बे आना (Blood clotting)
कई बार गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं को हल्का हल्का रक्तस्राव या खून के भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। ऐसा गर्भावस्था के शुरुआती सप्ताह में होता है।
1. गर्भ ठहरने के बाद रक्त के धब्बे आना (Blood clotting)
कई बार गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं को हल्का हल्का रक्तस्राव या खून के भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। ऐसा गर्भावस्था के शुरुआती सप्ताह में होता है।
2. स्तनों में दर्द और सूजन (Swelling or pain in Breast)
गर्भावस्था के प्रारंभिक दौर में स्तनों में कई बार सूजन या दर्द (Swelling or pain) महसूस किया जाता है। स्तन पहले से अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। कई बार एरोला (निपल के आस-पास की जगह) का रंग भी बदला हुआ दिखाई देता है।
गर्भावस्था के प्रारंभिक दौर में स्तनों में कई बार सूजन या दर्द (Swelling or pain) महसूस किया जाता है। स्तन पहले से अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। कई बार एरोला (निपल के आस-पास की जगह) का रंग भी बदला हुआ दिखाई देता है।
3. थकान (Tired)
महिला अचानक ही छोटे-मोटे काम करने के बाद भी बहुत थका हुआ महसूस करने लगती है। जल्दी थकावट महसूस होना भी गर्भावस्था का प्रारंभिक लक्षण (Primary symptoms) है।
महिला अचानक ही छोटे-मोटे काम करने के बाद भी बहुत थका हुआ महसूस करने लगती है। जल्दी थकावट महसूस होना भी गर्भावस्था का प्रारंभिक लक्षण (Primary symptoms) है।
4. सुबह बीमार महसूस करना (Nausea)
सुबह उठने पर, मतली या उल्टी जैसा महसूस होता होना गर्भावस्था के सबसे मुख्य संकेतों में से एक है। सुबह उठते ही यदि आप ठीक महसूस नहीं कर रही और जी मचला रहा है तो यह भी गर्भवती होने का संकेत है।
सुबह उठने पर, मतली या उल्टी जैसा महसूस होता होना गर्भावस्था के सबसे मुख्य संकेतों में से एक है। सुबह उठते ही यदि आप ठीक महसूस नहीं कर रही और जी मचला रहा है तो यह भी गर्भवती होने का संकेत है।
5. बार-बार पेशाब आना (Frequent Urine)
यदि आपको बार-बार पेशाब करने की जरूरत पड़ रही है, या पहले की तुलना में अधिक (पेशाब) जा रही हैं तो इसे भी संकेत समझे। यह एक हार्मोनल परिवर्तन है, जो गर्भावस्था के दौरान होता है।
यदि आपको बार-बार पेशाब करने की जरूरत पड़ रही है, या पहले की तुलना में अधिक (पेशाब) जा रही हैं तो इसे भी संकेत समझे। यह एक हार्मोनल परिवर्तन है, जो गर्भावस्था के दौरान होता है।
6. मूड बदलना (Mood Swing)
मूड बदलना, कभी अचानक खुश और अचानक उदास महसूस करना भी गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। यह संकेत पहली तिमाही में दिखाई देता है। ऐसा हार्मोनल परिवर्तन (Harmonal change) की वजह से होता है।
मूड बदलना, कभी अचानक खुश और अचानक उदास महसूस करना भी गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। यह संकेत पहली तिमाही में दिखाई देता है। ऐसा हार्मोनल परिवर्तन (Harmonal change) की वजह से होता है।
7. पेट फूलना (Stomach Bloating)
पेट फूलना या गैस भी एक गर्भावस्था संकेत हो सकता है।
पेट फूलना या गैस भी एक गर्भावस्था संकेत हो सकता है।
8. कब्ज (Constipation)
मल करने में कठिनाई महसूस होना या कब्ज होना भी गर्भावस्था का संकेत है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी और पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है।
मल करने में कठिनाई महसूस होना या कब्ज होना भी गर्भावस्था का संकेत है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी और पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है।
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क्या आप जानते हैं प्रेगनेंसी के प्रारंभिक लक्षण !
विवाहित महिलाओं के लिए शुरुआती प्रेगनेंसी को समझना कई बार बेहद मुश्किल होता है। प्रेगनेंसी अगर पहली बार हो तो यह और अधिक मुश्किल हो जाता है। अगर प्रेगनेंसी के बारें में शुरुआती दौर में ना पता चले तो कुछ असावधानियों के कारण हानिकारक समस्याएं हो सकती है। आइये जानें कुछ ऐसे लक्षणों (Early Symptoms of Pregnancy) के बारें में जिनके नजर आने पर महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए और अपना अधिक ख्याल रहना चाहिए:
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (Symptoms of Pregnancy in Hindi)
पीरियड्स मिस होना
पीरियड्स मिस होना प्रेगनेंसी का बड़ा लक्षण माना जाता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी (Garbhavati) के शुरुआती दिनों में पीरियड्स भी रुक जाते हैं। लेकिन इसे पूरी तरह से प्रेगनेंसी का लक्षण नहीं माना जाता है। कई अन्य कारणों से भी पीरियड्स रुकते हैं।
पीरियड्स मिस होना
पीरियड्स मिस होना प्रेगनेंसी का बड़ा लक्षण माना जाता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी (Garbhavati) के शुरुआती दिनों में पीरियड्स भी रुक जाते हैं। लेकिन इसे पूरी तरह से प्रेगनेंसी का लक्षण नहीं माना जाता है। कई अन्य कारणों से भी पीरियड्स रुकते हैं।
बार-बार पेशाब आना
इसे भी एक बड़े लक्षण के तौर पर देखा जाता है। अगर अचानक बार-बार टॉयलेट आए तो प्रेगनेंसी टेस्ट कराना चाहिए।
इसे भी एक बड़े लक्षण के तौर पर देखा जाता है। अगर अचानक बार-बार टॉयलेट आए तो प्रेगनेंसी टेस्ट कराना चाहिए।
बीपी बढ़ना या घटना
एकाएक ब्लड प्रेशर घटना या बढ़ना भी प्रेगनेंसी का संकेत होता है।
एकाएक ब्लड प्रेशर घटना या बढ़ना भी प्रेगनेंसी का संकेत होता है।
हल्की ब्लीडिंग और शरीर में ऐंठन
प्रेगनेंसी के पहले कुछ दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना या शरीर में ऐंठन यानि क्रैम्प पड़ना सामान्य बात है। उल्टियां या जी मचलाने जैसे लक्षणों को भी प्रेगनेंसी का मुख्य लक्षण माना जाता है।
प्रेगनेंसी के पहले कुछ दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना या शरीर में ऐंठन यानि क्रैम्प पड़ना सामान्य बात है। उल्टियां या जी मचलाने जैसे लक्षणों को भी प्रेगनेंसी का मुख्य लक्षण माना जाता है।
पांव में सूजन
पांवों में सूजन या उनमें भारीपन आने को भी प्रेगनेंसी का ही एक लक्षण माना जाता है। दरअसल इस दौरान शरीर में फ्लूड का अत्यधिक मात्रा में सर्कुलेशन होता है।
पांवों में सूजन या उनमें भारीपन आने को भी प्रेगनेंसी का ही एक लक्षण माना जाता है। दरअसल इस दौरान शरीर में फ्लूड का अत्यधिक मात्रा में सर्कुलेशन होता है।
सांस फूलना
प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलना सामान्य बात है। अगर आपको एकदम से सांस फूलने की समस्या हो तो सावधानी बरतनी चाहिए और प्रेगनेंसी से जुड़े अन्य लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
अन्य 10 महत्वपूर्ण लक्षण जानने के लिए क्लिक करें:
प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलना सामान्य बात है। अगर आपको एकदम से सांस फूलने की समस्या हो तो सावधानी बरतनी चाहिए और प्रेगनेंसी से जुड़े अन्य लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
अन्य 10 महत्वपूर्ण लक्षण जानने के लिए क्लिक करें:
ऐसे लक्षण दिखने के बाद क्या करें?
ऐसे लक्षण देखने के बाद खुद का अधिक ख्याल रखना चाहिए और जल्द से जल्द प्रेगनेंसी टेस्ट कराना चाहिए। अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज करेंगे तो हो सकता है कि कुछ समस्याएं सामने आ जाएं। घर पर या क्लिनिक में जाकर टेस्ट कराने से मन से सभी शंकाएं खत्म हो जाती हैं। प्रेगनेंसी के प्राथमिक लक्षण दिखने के बाद और इसकी पुष्टि होने के बाद आयरन की गोलियों का सेवन शुरु करना चाहिए। प्रेगनेंट होने के बाद या गर्भधारण करने की कोशिश के समय शराब का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
ऐसे लक्षण देखने के बाद खुद का अधिक ख्याल रखना चाहिए और जल्द से जल्द प्रेगनेंसी टेस्ट कराना चाहिए। अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज करेंगे तो हो सकता है कि कुछ समस्याएं सामने आ जाएं। घर पर या क्लिनिक में जाकर टेस्ट कराने से मन से सभी शंकाएं खत्म हो जाती हैं। प्रेगनेंसी के प्राथमिक लक्षण दिखने के बाद और इसकी पुष्टि होने के बाद आयरन की गोलियों का सेवन शुरु करना चाहिए। प्रेगनेंट होने के बाद या गर्भधारण करने की कोशिश के समय शराब का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
घर बैठे चैक करें प्रेग्नेंट हैं या नहीं!
गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण प्रत्येक महिला में अलग होते हैं। ऐसे में चिकित्सक के पास जाए बिना, घर पर ही गर्भवती हैं या नहीं इसकी जानकारी हो जाए, तो महिलाओं की एक बड़ी समस्या हल हो सकती है। टेस्ट भी ऐसे जिसमें आपको बाहर से कुछ खरीदने की जरूरत नहीं, घर पर उपलब्ध पदार्थों से टेस्ट के द्वारा प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy Test at Home) किया जा सकता है। आइए आपको भी बताते हैं कुछ ऐसे घरेलू टेस्ट जिन्हें आसानी से किया जा सकता है।
घर बैठे प्रेग्नेंसी चैक करने का तरीका (Method to check pregnancy at home in Hindi)
1. चीनी के द्वारा प्रग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test with Sugar):
यह टेस्ट घरेलू उपायों में सबसे अधिक विश्वसनीय और सबसे आसान (Trusty and Easy) माना जाता है। यह यह गर्भावस्था परीक्षण ज्यादातर पहले के दिनों में इस्तेमाल किया जाता था।
टेस्ट के लिए सामग्री (Ingredients):
चीनी (Sugar)- 1 बड़ा चम्मच
कटोरी (Bowl)- 1
मूत्र ( Urine)- 3 बड़े चम्मच
यूं करें टेस्ट (Method): कटोरी में यूरिन लें और उसमें चीनी डालें। अब कुछ देर परिणाम के लिए इंतजार करें। यदि कुछ देर में चीनी यूरिन में घुल जाती है, तो आप प्रेग्नेंट नहीं हैं लेकिन यदि चीनी के कण (Sugar Granules) दिखाई देते हैं तो परिणाम सकारात्मक हैं। आप प्रेग्नेंट हैं। यूरिन में मौजूद एचसीजी हार्मोन (HCG Harmone) चीनी को घुलने नहीं देते हैं।
1. चीनी के द्वारा प्रग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test with Sugar):
यह टेस्ट घरेलू उपायों में सबसे अधिक विश्वसनीय और सबसे आसान (Trusty and Easy) माना जाता है। यह यह गर्भावस्था परीक्षण ज्यादातर पहले के दिनों में इस्तेमाल किया जाता था।
टेस्ट के लिए सामग्री (Ingredients):
चीनी (Sugar)- 1 बड़ा चम्मच
कटोरी (Bowl)- 1
मूत्र ( Urine)- 3 बड़े चम्मच
यूं करें टेस्ट (Method): कटोरी में यूरिन लें और उसमें चीनी डालें। अब कुछ देर परिणाम के लिए इंतजार करें। यदि कुछ देर में चीनी यूरिन में घुल जाती है, तो आप प्रेग्नेंट नहीं हैं लेकिन यदि चीनी के कण (Sugar Granules) दिखाई देते हैं तो परिणाम सकारात्मक हैं। आप प्रेग्नेंट हैं। यूरिन में मौजूद एचसीजी हार्मोन (HCG Harmone) चीनी को घुलने नहीं देते हैं।
2. टूथपेस्ट से प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test with Toothpaste):
टूथपेस्ट तो हर घर में पाया जाता है। इसकी थोड़ी सी मात्रा से ही प्रेग्नेंसी टेस्ट संभव है। आइए जानते हैं कैसे:
सामग्री (Ingredient):
सादा टूथपेस्ट (Toothpaste)– थोड़ी सी मात्रा
मूत्र (Urine)- टूथपेस्ट की मात्रा के अनुसार
एक छोटी कटोरी (Small bowl)
यूं करें टेस्ट (Method): कटोरी में टूथपेस्ट लें और उसमें यूरिन मिलाएं। यदि टूथपेस्ट का रंग नीला (Blue clour) हो जाता है या फेड होता है तो इसका मतलब है परिणाम सकारात्मक (Positive result) है।
टूथपेस्ट तो हर घर में पाया जाता है। इसकी थोड़ी सी मात्रा से ही प्रेग्नेंसी टेस्ट संभव है। आइए जानते हैं कैसे:
सामग्री (Ingredient):
सादा टूथपेस्ट (Toothpaste)– थोड़ी सी मात्रा
मूत्र (Urine)- टूथपेस्ट की मात्रा के अनुसार
एक छोटी कटोरी (Small bowl)
यूं करें टेस्ट (Method): कटोरी में टूथपेस्ट लें और उसमें यूरिन मिलाएं। यदि टूथपेस्ट का रंग नीला (Blue clour) हो जाता है या फेड होता है तो इसका मतलब है परिणाम सकारात्मक (Positive result) है।
3. सिरका से प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test with Vinegar):
सिरका भी आसानी से हर रसोई में पाया जाने वाला पदार्थ है, आप गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए इसका उपयोग कर सकती हैं।
सामग्री (Ingredient):
सफेद सिरका (White Vinegar)- आधा कप
मूत्र (Urine)- आधा कप
एक छोटी कटोरी (Small bowl)
यूं करें टेस्ट(Method): कटोरी में सफेद सिरका लें और उसमें सुबह का पहला यूरिन मिलाएं। यदि रंग बदलता है (If colour get changed) तो परिणाम सकारात्मक हैं।
सिरका भी आसानी से हर रसोई में पाया जाने वाला पदार्थ है, आप गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए इसका उपयोग कर सकती हैं।
सामग्री (Ingredient):
सफेद सिरका (White Vinegar)- आधा कप
मूत्र (Urine)- आधा कप
एक छोटी कटोरी (Small bowl)
यूं करें टेस्ट(Method): कटोरी में सफेद सिरका लें और उसमें सुबह का पहला यूरिन मिलाएं। यदि रंग बदलता है (If colour get changed) तो परिणाम सकारात्मक हैं।
4. बेकिंग सोडा से प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnacy test with Baking soda):
बेकिंग सोडा, भी एक आम रसोई घटक है। यह लगभग 70% गर्भावस्था के बारे में सही परिणाम देता है।
सामग्री (Ingredient):
बेकिंग सोडा- 2 बड़े चम्मच
मूत्र (Urine)- 1 बड़ा चम्मच
यूं करें टेस्ट (Method): एक साफ कटोरी में बेकिंग सोडा लें और उसमें यूरिन मिलाकर कुछ मिनट के लिए प्रतीक्षा करें। यदि इस घोल में बुलबुले उठते हैं जैसे कि सोडा की बोतल खोलते समय दिखाई देते हैं, तो समझिए परिणाम सकारात्मक हैं।
बेकिंग सोडा, भी एक आम रसोई घटक है। यह लगभग 70% गर्भावस्था के बारे में सही परिणाम देता है।
सामग्री (Ingredient):
बेकिंग सोडा- 2 बड़े चम्मच
मूत्र (Urine)- 1 बड़ा चम्मच
यूं करें टेस्ट (Method): एक साफ कटोरी में बेकिंग सोडा लें और उसमें यूरिन मिलाकर कुछ मिनट के लिए प्रतीक्षा करें। यदि इस घोल में बुलबुले उठते हैं जैसे कि सोडा की बोतल खोलते समय दिखाई देते हैं, तो समझिए परिणाम सकारात्मक हैं।
नोट (Important Note)- किसी भी टेस्ट को करने के लिए सुबह के सबसे पहले यूरिन का इस्तेमाल करें। साथ ही, पाठक ध्यान रखें, कोई भी परिणाम शत प्रतिशत परिणाम की गारंटी नहीं देता है, इसलिए चिकित्सक का परामर्श आवश्यक है।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स!
नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो रहें ‘एक्टिव’
बदलते लाइफस्टाइल की वजह से आजकल नॉर्मल डिलीवरी मुश्किल होती जा रही है। अधिकांश मामलों में सीजेरियन (Ceasarion) से ही बच्चों को जन्म दिया जा रहा है। ऐसा होने के कई कारण हैं जैसे उचित खान-पान न होना, कोई स्वास्थ्य समस्या होना, दिनचर्या ठीक न होना, तनाव ज्यादा लेना आदि। हालांकि गर्भ ठहरने के बाद से ही महिलाएं यदि ध्यान दें तो नॉर्मल डिलीवरी होना संभव है। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी ध्यान देने योग्य बातें जिन्हें अपनाकर नॉर्मल और स्वस्थ डिलीवरी संभव है:
नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स:
संतुलित भोजन (Healthy and Balanced Diet): पेट में पल रहा बच्चा तभी स्वस्थ होगा जब गर्भवती महिला स्वस्थ हो। ऐसे में पौष्टिक और संतुलित भोजन लेना अनिवार्य होना चाहिए। जितना स्वस्थ आपका भोजन होगा उतना ही स्वस्थ बच्चा होगा साथ ही डिलीवरी के समय होने वाली परेशानियां कम होंगी।
खून की कमी (Hemoglobin level): प्रसव पीड़ा (Delivery pain ) के समय खून की कमी नहीं होनी चाहिए। इसलिए समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराती रहें तथा चिकित्सक के कहे अनुसार आहार लेती रहें।
डिलीवरी के वक्त तकरीबन 300 से 400 एमएल खून महिला के शरीर से निकलता है, ऐसे में शरीर में आयरन और कैल्शियम की कमी नहीं होनी चाहिए। अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा आयरन और कैल्शियम युक्त डाइट लें।
एक्टिव रहें (Be Active): यदि नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो शरीरिक रूप से एक्टिव रहें। हल्का व्यायाम करती रहें और सुबह-शाम टहलें।
पर्याप्त नींद (Sleep Proper): गर्भवती महिला को 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए तथा शरीर की हल्के हाथ से मालिश भी जरूर करें।
टेंशन ना लें (Stay away from Tension): किसी भी परिस्थिति में टेंशन न लें। तनाव लेने से डिलीवरी के समय नकारात्मक असर पड़ता है जिससे ऑपरेशन के चांसेस बढ़ जाते हैं।
पानी पिएं (Be Hydrated): गर्भावस्था में शरीर में पानी की कमी न हो, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजाना 3 से 4 लीटर पानी अवश्य पियें।
योगा (Yoga for Normal Delivery): नॉर्मल डिलीवरी के लिए कुछ योगासन भी अपनाए जा सकते हैं जिनमें, कोनासन, वक्रासन, पर्वतासन, सुख भद्रासन, हस्त पंगुस्तासन आदि शामिल हैं। हालांकि किसी भी योग या व्यायाम को करने से पहले अपने चिकित्सक राय अवश्य लें।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स:
संतुलित भोजन (Healthy and Balanced Diet): पेट में पल रहा बच्चा तभी स्वस्थ होगा जब गर्भवती महिला स्वस्थ हो। ऐसे में पौष्टिक और संतुलित भोजन लेना अनिवार्य होना चाहिए। जितना स्वस्थ आपका भोजन होगा उतना ही स्वस्थ बच्चा होगा साथ ही डिलीवरी के समय होने वाली परेशानियां कम होंगी।
खून की कमी (Hemoglobin level): प्रसव पीड़ा (Delivery pain ) के समय खून की कमी नहीं होनी चाहिए। इसलिए समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराती रहें तथा चिकित्सक के कहे अनुसार आहार लेती रहें।
डिलीवरी के वक्त तकरीबन 300 से 400 एमएल खून महिला के शरीर से निकलता है, ऐसे में शरीर में आयरन और कैल्शियम की कमी नहीं होनी चाहिए। अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा आयरन और कैल्शियम युक्त डाइट लें।
एक्टिव रहें (Be Active): यदि नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो शरीरिक रूप से एक्टिव रहें। हल्का व्यायाम करती रहें और सुबह-शाम टहलें।
पर्याप्त नींद (Sleep Proper): गर्भवती महिला को 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए तथा शरीर की हल्के हाथ से मालिश भी जरूर करें।
टेंशन ना लें (Stay away from Tension): किसी भी परिस्थिति में टेंशन न लें। तनाव लेने से डिलीवरी के समय नकारात्मक असर पड़ता है जिससे ऑपरेशन के चांसेस बढ़ जाते हैं।
पानी पिएं (Be Hydrated): गर्भावस्था में शरीर में पानी की कमी न हो, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजाना 3 से 4 लीटर पानी अवश्य पियें।
योगा (Yoga for Normal Delivery): नॉर्मल डिलीवरी के लिए कुछ योगासन भी अपनाए जा सकते हैं जिनमें, कोनासन, वक्रासन, पर्वतासन, सुख भद्रासन, हस्त पंगुस्तासन आदि शामिल हैं। हालांकि किसी भी योग या व्यायाम को करने से पहले अपने चिकित्सक राय अवश्य लें।
कुछ अन्य टिप्स (Other Tips for Normal Delivery) :
• गर्भ ठहरने के बाद किसी अच्छी महिला चिकित्सक से हमेशा संपर्क में रहें तथा उन चीजों का पालन करें जो गर्भवती महिला को करनी चाहिए।
• ज्यादा कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ, शराब या सिगरेट या अन्य किसी भी प्रकार के नशे से एकदम दूर रहें। सीजेरियन होने का यह भी एक बड़ा कारण है।
• गर्भ ठहरने के बाद किसी अच्छी महिला चिकित्सक से हमेशा संपर्क में रहें तथा उन चीजों का पालन करें जो गर्भवती महिला को करनी चाहिए।
• ज्यादा कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ, शराब या सिगरेट या अन्य किसी भी प्रकार के नशे से एकदम दूर रहें। सीजेरियन होने का यह भी एक बड़ा कारण है।
गर्भावस्था में दिनचर्या: अंतिम तीन (7-9) महीनों के दौरान!
गर्भावस्था के आखिरी महीनों में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। खाने पीने से लेकर साफ सफाई और आराम करने तक कहीं भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। पेट पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं पड़ना चाहिए साथ ही गर्भवती महिला को हमेशा खुश रहना चाहिए। आइये और कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातों के बारे में जानकारी देते हैं आपको-
1. सफर ना करें
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में सफर ना करें। खासकर कार से या हवाई यात्रा। ऐसा करने से मिसकैरिज के चांसेस बढ़ जाते हैं या बच्चा समय से पहले भी पैदा हो सकता है।
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में सफर ना करें। खासकर कार से या हवाई यात्रा। ऐसा करने से मिसकैरिज के चांसेस बढ़ जाते हैं या बच्चा समय से पहले भी पैदा हो सकता है।
2. स्ट्रेचिंग करें
डिलीवरी के वक्त कोई परेशानी ना हो इसके लिए हल्की स्ट्रेचिंग करती रहें। इससे शरीर में लचीलापन आएगा जिससे डिलीवरी नार्मल होने के चांसेस बढ़ेंगे।
डिलीवरी के वक्त कोई परेशानी ना हो इसके लिए हल्की स्ट्रेचिंग करती रहें। इससे शरीर में लचीलापन आएगा जिससे डिलीवरी नार्मल होने के चांसेस बढ़ेंगे।
3. हॉस्पिटल का बैग तैयार करें
आखिरी हफ्तों में कभी भी डिलीवरी का समय आ सकता है ऐसे में जरूरत का सभी सामान बैग में रखकर तैयार कर दें। जिससे डिलीवरी के समय में परिवार के लोग सामान जुटाने में ना लगे रहें।
आखिरी हफ्तों में कभी भी डिलीवरी का समय आ सकता है ऐसे में जरूरत का सभी सामान बैग में रखकर तैयार कर दें। जिससे डिलीवरी के समय में परिवार के लोग सामान जुटाने में ना लगे रहें।
4. डाइट पर दें ध्यान
अपने खाने पर पूरा ध्यान दें। आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर भोजन करें। कार्बोहाइड्रेट भी उचित मात्रा में लें। जो आप खाएंगी उसका पोषण बच्चे को मिलेगा इसलिए ज्यादा नहीं लेकिन हेल्थी खाएं।
अपने खाने पर पूरा ध्यान दें। आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर भोजन करें। कार्बोहाइड्रेट भी उचित मात्रा में लें। जो आप खाएंगी उसका पोषण बच्चे को मिलेगा इसलिए ज्यादा नहीं लेकिन हेल्थी खाएं।
5. ब्रेस्ट फीडिंग के लिए तैयार रहें
खुद को डिलिवरी के बाद होने वाले बदलावों के लिए भी तैयार रखें। ब्रेस्ट फीडिंग कैसे कराते हैं, किस पोजीशन में बच्चा ज्यादा आरामदायक रहता है, कितनी देर फीड कराना चाहिए इन सब बातों के बारे में जानकारी जुटाएँ।
खुद को डिलिवरी के बाद होने वाले बदलावों के लिए भी तैयार रखें। ब्रेस्ट फीडिंग कैसे कराते हैं, किस पोजीशन में बच्चा ज्यादा आरामदायक रहता है, कितनी देर फीड कराना चाहिए इन सब बातों के बारे में जानकारी जुटाएँ।
6. किताबें पढ़ें
सबसे बेहतर है इस दौरान मातृत्व और बच्चों पर आधारित किताबें पढ़ें। इससे आपकी आने वाले समय के लिए जानकारी भी बढ़ेगी साथ ही मन में पल रहे सवालों के जवाब भी आसानी से मिल जाएंगे।
सबसे बेहतर है इस दौरान मातृत्व और बच्चों पर आधारित किताबें पढ़ें। इससे आपकी आने वाले समय के लिए जानकारी भी बढ़ेगी साथ ही मन में पल रहे सवालों के जवाब भी आसानी से मिल जाएंगे।
7. बच्चे की जरूरत का सामान जुटाए
इन आखिरी हफ्तों में ही बच्चे के लिए भी खरीददारी कर लें। कपड़ों से लेकर साबुन तेल, बच्चे की तौलिया, बच्चे को रखने के लिए कपड़ा और टॉयलेट शीट सब कुछ खरीद कर रखें।
इन आखिरी हफ्तों में ही बच्चे के लिए भी खरीददारी कर लें। कपड़ों से लेकर साबुन तेल, बच्चे की तौलिया, बच्चे को रखने के लिए कपड़ा और टॉयलेट शीट सब कुछ खरीद कर रखें।
8. मानसिक रूप से तैयार रहें
आखिरी हफ्ते में खुद को मानसिक रूप से तैयार रखें। घबराएं नहीं और सकारात्म
आखिरी हफ्ते में खुद को मानसिक रूप से तैयार रखें। घबराएं नहीं और सकारात्म
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